गुरुवार, 11 जुलाई 2013

नरम बायोनिक हाथ बनाने में कामयाबी


इंसान जैसे रोबोटिक हाथ अब तक सिर्फ विज्ञान कथाओं में ही होते आए हैं, लेकिन जर्मन वैज्ञानिकों ने अब नरम मटीरियल से एक बायोनिक हाथ विकसित किया है, जिसमें चीजों को उठा सकने की कुशलता है.
सिलिकॉन या रबर जैसी मुलायम चीजों से बनी अंगुलियां को कंप्रेस्ड हवा की मदद से फुलाया जाता है. इसकी वजह से उनमें विशेष क्षमता आती है जो उन्हें मोटर, गीयर, ज्वाइंट और कारों से बने परंपरागत इलेक्ट्रोमैकेनिकल हाथों से अलग करती है.
इस बायोनिक हाथ को बर्लिन के रोबोटिक्स-साइंस एंड सिस्टम्स सम्मेलन में पेश किया गया जहां पीएचडी छात्र रफाएल डाइमेल ने उसके काम करने के तरीके का प्रदर्शन किया. एयर कंप्रेशन तकनीक के इस्तेमाल का मतलब यह हुआ है कि अंगुलियां कितना मुड़ेंगी यह पकड़ी जाने वाली वस्तु के आकार पर निर्भर करेगा. डाइमेल बताते हैं, "हाथ को किसी सेंसर तकनीक की जरूरत नहीं होती और यह कलम से लेकर सनग्लासेस और बोतल से लेकर कपड़े तक अलग अलग चीजों को उठा सकता है." नरम हाथ उठाई जाने वाली चीजों की सतह को नुकसान नहीं पहुंचाता. इस पर गर्मी, पानी और रेत का भी असर नहीं होता.
डाइमेल और बर्लिन के टेक्निकल यूनिवर्सिटी में उनके प्रोफेसर ओलिवर ब्रॉक ने इंटरनेट पर नरम मटीरियल से बायोनिक हाथ बनाने का तरीका भी प्रकाशित किया है ताकि रोबोट बनाने वाले शौकिया लोग भी खुद इस तकनीक को ट्राय कर सकें. इसे बनाना अपेक्षाकृत आसान है और धातु से बनने वाले रोबोटिक हाथों की तुलना में बहुत किफायती भी, जिन्हें बनाने में डाइमेल के मुताबिक 1,00,000 डॉलर से ज्यादा लगते हैं. सिलिकॉन वाले हाथ बनाने में 400 से 600 डॉलर लगते हैं, लेकिन वे अब तक सिर्फ 500 ग्राम तक की चीजें उठा सकते हैं. (सोच से चलने वाला रोबोट)
डाइमेल मानते हैं कि बायोनिक हाथ आने वाले समय में मानवीय हाथों की कुशलता के करीब नहीं पहुंच पाएंगे, "आइडिया यह है कि एक दिन रोबोट इंसान की रोजमर्रे में मदद कर पाएंगे. वे चीजों को एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचा पाएंगे, खोई चाबियां खोज पाएंगे और कमरों की सफाई कर पाएंगे." फिलहाल यह तकनीक अक्सर काम करती है, लेकिन हमेशा नहीं करती.
एमजे/ आईबी (डीपीए)

 sabhar :DW.DE

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